الثلاثاء، 30 يناير 2024

مخبا الريح 
،،،،،،،،،،،،،،،،،،
فتشت     ما شفتو      و ما لقيتو
ماقدرت اعرف   وين  مخبا الريح
تخمين      ضاع   الدرب  ونسيتو
يمّا  قصد       كل م اقترب بيزيح
سألت  الصُبح  قللي   سائل  الليل
سألت  البحر   قللي سائل   الخيل
سألت   النهر    قللي  ب ثاني ميل
معقول  انّو   فل   حتى  يستريح
يمكن    تعب  من كُثرة    التجريح
،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،،
(أبو أحمد معيكي)

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